पुणे स्थित ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के टीकों ने देश और विदेश में लोगों और ख़ास तौर पर बच्चों की जान बचाने का काम किया है.
इन टीकों में शामिल हैं– सांप के ज़हर को ख़त्म करने वाला टीका, डिप्थीरिया, टिटनस और परटूसिस यानी डीपीटी के टीके, तपेदिक से बचने वाले बीसीजी के टीके, मीज़ल्स, मंप और रूबेला यानी एमएमआर के टीके, रोटावायरस के टीके या फिर हेपेटाइटिस-बी के टीके.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया फिलहाल ख़बरों में इसलिए है क्योंकि उसने कोरोना वायरस के टीकों- कोविशील्ड का उत्पादन भी युद्ध स्तर पर किया और उन्हें भारत सरकार को सौंपना शुरू कर दिया है.
पुणे के मंजरी में जिस जगह कंपनी के कैंपस में आग लगने की घटना हुई वहाँ कोविशील्ड तो नहीं बल्कि तपेदिक और रोटावायरस के टीके बनते थे. कोविशील्ड जहाँ बन रही है वो जगह आग लगने वाली जगह से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है.