ब्यूरो:-अगर हमें परमात्मा मिल जाएं तो हम उससे निश्चय ही अन्य लोगों की तरह अपना शाश्वत सुख न मांग कर धन , संपदा और समृद्दि ही मांगेंगे या छोटे – छोटे दुखों के निवारण की याचना करेंगे* ।
*क्या इस दुखमय संसार से मुक्ति की अनुपम सौगात मांगने का सुविचार और साहस हमारे अंदर आएगा ही नहीं* ? इसका एकमात्र कारण यह है कि हम पथ से भटक कर उस अलौलिक प्रकाश को भुला बैठे हैं जिसके संबल से अर्जुन ने विजय का वरण किया था ।
*महाभारत के समय अर्जुन के पास मांगने के कई विकल्प थे । लेकिन उन्होंने सब विकल्पों को छोडकर केवल श्रीकृष्ण जी को ही मांग लिया और अकेले उनको मांग कर सब कुछ प्राप्त कर लिया* ।