लखनऊ: 2014 में पंजाब के अजनाला में एक पुराने कुएं से मिले 282 सैनिकों के कंकालों को लेकर हर दिन चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है. अब लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट के डॉ. नीरज राय ने बताया कि अंग्रेजों ने बहुत बेरहमी से इन सैनिकों की हत्या की थी. उनकी खोपड़ी में गोलियां के निशान मिले हैं यानी उनके सिर में गोलियां दागकर उनकी जान ली गई थी. टीम के प्रमुख शोधकर्ता और प्राचीन डीएनए के एक्सपर्ट डॉ. नीरज राय ने जांच में पाया कि गोली लगने के बाद इन्हें कुएं में ढकेल दिया गया. उन्होंने बताया कि नर संहार को छुपाने के लिए उन्होंने कुएं में मिट्टी भर दी. कई सैनिक ऐसे थे जो गोली लगने के बाद भी जीवित थे लेकिन उन्हें भी कुएं भी जीवित दफना दिया गया. अजनाला में मिले नर कंकाल 1857 की पुरबिया बटालियन ( 26 नेटिव बंगाल इन्फेंट्री बटालियन) के सैनिकों के हैं, जिनका नरसंहार ब्रिटिश सरकार के इशारे पर किया गया था. अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने पर नरसंहार कर दिया गया था. यह दावा वैज्ञानिकों की उस टीम का जिन्होंने 5 साल तक इन नर कंकालों पर अध्ययन किया है. डीएनए एनालिसिस और स्टेबल आईसोटोप एनालिसिस के बाद वैज्ञानिकों की टीम ने ये दावे किए हैं. 7 वैज्ञानिकों की टीम ने इस मामले में अध्ययन किया है. अध्ययन स्विट्जरलैंड से प्रकाशित होने वाले जर्नल ‘Frontiers of Genetics’ में प्रकाशित हुआ है. इसके अनुसार 2014 में एक कुएं में मिले 282 नर कंकालों की पहचान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के शहीद सैनिकों के हैं. दरअसल इन नरकंकालों का डीएनए सूत्र गंगा घाटी के लोगों से मिलाया गया था. इसमें दांत से लेकर हड्डियां और खोपड़ी की भी जांच की गई थी. न टीम के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. नीरज राय ने बताया कि ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि 26वीं बंगाल इन्फैंट्री बटालियन के सैनिक पाकिस्तान के मियां-मीर में तैनात थे. यही इन्होंने विद्रोह कर दिया था. हालांकि अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि वे मियां मीर से अजनाला कैसे पहुंचे. डॉक्टर नीरज राय ने कहा कि हमारी कोशिश है कि इनके अवशेषों को इसके परिवारों को लौटाएं. अगर परिवार नहीं है तो उस क्षेत्र के गांव को ही लौटाए जाएं, ताकि उनका सम्मान से अंतिम संस्कार किया जा सके. पर अध्ययन करने वाली टीम में लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट के डॉ. नीरज राय के अलावा पंजाब विश्वविद्यालय के एन्थ्रोपोलाजिस्ट डॉ जगमेंदर सिंह सेहरावत सेहरावत, बीएचयू जंतु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे, काशी हिन्दू विश्विद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के निदेशक प्रोफेसर एके त्रिपाठी और हैदराबाद के सीसीएमबी के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. के. थंगराज शामिल थे. DNA सूत्रों के मिलान के अध्ययन से यह साफ हो गया है कि पुराने कुएं में मिले 282 मानव कंकाल पंजाब और उत्तर भारत के नहीं थे. अध्ययन के लिए 80 डीएनए सैम्पल और 85 आईसोटोप सैम्पल लिए गए. डीएनए सैम्पल के मिलान से आनुवंशिकता का पता चलता है जबकि आईसोटोप सैम्पल से खानपान की आदतों का पता चलता है.
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