जालंधर 3 नवंबर (कपूर)- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में प्रदूषण मुक्त हर्षोल्लास व उमंग से भरी दिव्य दिवाली का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ सामूहिक संध्या आरती के साथ किया गया। जिसमें पंडाल में उपस्थित समस्त श्रद्धालुओं ने हाथ में दिया लेकर अपने भाव अर्पित किये। इसके उपरांत श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी जयन्ती भारती जी ने दिवाली पर्व में आध्यात्मिक व सामाजिक रहस्यों को उजागर करते हुए बताया कि दिवाली में जब दीये को प्रज्जवलित किया जाता है तो उसे नमन किया जाता है।
उन्होंने बताया कि दिया वंदनीय इसलिए होता है क्यूंकि वो औरों के लिए जलता है, ना की औरों से जलता है। इसलिए दिवाली में हर वर्ष हम घरों की सफाई तो खूब करते हैं किन्तु आज हमें अपने हृदय के किवाड़ खोल कर उन समस्त नकारात्मक विचारों को बाहर निकाल देना चाहिए जो आत्मा को अशांत करते हैं क्यूंकि आत्मा का अशांत होना देह की देहांत होने से ज्यादा दुखदायी होता है। इसके उपरांत स्वामी विश्वानंद जी ने पंडाल में उपस्थित संगत को शपथ ग्रहण करवाई। जिसमें उन्होंने इस पर्व पर पर्यावरण के प्रति, अपनी जिम्मेदारी निभाने का, पटाखों का प्रयोग ना करने का, पेड़ लगाने का, अपने आस-पास को स्वच्छ और हरा-भरा रखने का संकल्प लिया।
प्राकृतिक रंगों से सजी रंगोलियां, हस्तकला व कलाकृतियां, मिट्टी के दियों से जगमग परिसर, आकर्षक मुक्त वातावरण, नृत्य प्रस्तुति इत्यादि को देख कर हर कोई नूरमहल की दिव्य दिवाली भजन गुनगुनाता जा रहा था।