अन्याय के आगे झुकना नहीं, और सत्य के मार्ग से कभी रुकना नहीं—यही स्वामी श्रद्धानन्द का जीवन संदेश है।

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अन्याय के आगे झुकना नहीं, और सत्य के मार्ग से कभी रुकना नहीं—यही स्वामी श्रद्धानन्द का जीवन संदेश है। “

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जालंधर (एस के कपूर)
फिल्लौर: स्थानीय डी.ए.वी. स्कूल के प्रांगण में आज आर्य समाज के महान क्रांतिकारी स्वामी श्रद्धानन्द जी का बलिदान दिवस अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया गया। प्रतिवर्ष 23 दिसंबर का दिन स्वामी जी की स्मृति में ‘बलिदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1926 में धर्म की रक्षा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस अवसर पर विद्यालय द्वारा एक भव्य ‘भजन संध्या’ का आयोजन किया गया, ताकि युवा पीढ़ी को स्वामी जी के जीवन और आर्य समाज के सिद्धांतों से जोड़ा जा सके।

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कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोचार के साथ हुआ। भजन संध्या के दौरान विद्यार्थियों ने बताया कि कैसे बचपन में ‘मुंशी राम’ के नाम से जाने जाने वाले स्वामी जी, महर्षि दयानन्द सरस्वती से प्रभावित होकर आर्य समाज के योद्धा बने और गुरुकुल कांगड़ी जैसी संस्थाओं के माध्यम से समाज सुधार में जुट गए।

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इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने विद्यार्थियों को स्वामी जी की भांति निडर और चरित्रवान बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि आज के समय में स्वदेशी मूल्यों और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए स्वामी जी के आदर्शों को अपनाना अनिवार्य है।

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‘ओम् नाम का सुमिरन कर ले’ जैसे भजनों के बीच सभी ने भारतीय संस्कृति की सेवा का संकल्प लिया और कार्यक्रम का समापन ‘स्वामी श्रद्धानन्द अमर रहें’ के जयघोष के साथ हुआ।

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