यदि ऐसा हुआ तो विकसित देशों को भी कहीं पीछे छोड़ देगा भारत, जानें पूरा मामला और एक्‍सपर्ट व्‍यू

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भरत झुनझुनवाला। कोरोना महामारी पर विजय के बेहद करीब हम पहुंच चुके हैं। अगर जंग में यह निरंतरता बनी रहती है तो दुनिया के हम पहले देश होंगे जिसकी अर्थव्यवस्था सबसे पहले पटरी पर लौट चुकी होगी। इस लिहाज से हम शीघ्र ही 5 टिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। यदि हम सही नीतियां अपनाएं तो जैसे लंबे समय से दबी स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा उसे छोड़ने के बाद तेज गतिज ऊर्जा में तब्दील हो जाती है, वैसे ही लंबे समय से सुस्ता रही भारतीय अर्थव्यवस्था और इसका श्रम विकास की कुलांचे भरा सकता है। पहला बिंदु नई तकनीकों में निवेश का है।

आज अमरीका हमसे आगे है चूंकि पिछली सदी की प्रमुख नई तकनीकें उसी देश में विकसित हुई हैं। हमारे वैज्ञानिक अमेरिका में जाकर नोबेल पुरस्कार अर्जति कर रहे हैं, वे वैज्ञानिक अपने देश में विफल साबित हुए हैं। मेरे कई सह प्रोफेसर अमेरिका छोड़कर भारत आए, परंतु यहां उपयुक्त वातावरण न मिलने के कारण वापस चले गए। इसलिए रिसर्च को आउटसोर्स करना होगा और इसमें भारी निवेश करना होगा।

दूसरा बिंदु आम आदमी और छोटे उद्योगों को चलायमान और टिकाऊ बनाने का है। इन पर नोटबंदी, जीएसटी और कोविड की तिहरी मार पड़ी है। इनका धंधा आज बड़ी मैन्युफैक्चरिंग और ई-कामर्स कंपनियों को हस्तांतरित हो गया है। हमारी अर्थव्यवस्था दो टुकड़ों में बंट गई है। एक तरफ आम आदमी खस्ताहाल है तो दूसरी तरफ ई-कामर्स और बड़ी कंपनियां मौज में हैं। इस परिस्थिति में यदि सरकार द्वारा आम आदमी के हाथ में क्रय शक्ति स्थानांतरित करने और छोटे उद्योगों को संरक्षण देने के ठोस कदम लिए गये तब हमारी अर्थव्यवस्था पुन: द्रुतगति से चल निकलेगी। इसके विपरीत यदि सरकार हाईवे और मेट्रो जैसे बड़े निवेश पर केंद्रित होकर रह गई तो बात नहीं बनेगी। इन सरकारी खर्च का बहाव आम आदमी की तरफ कम ही होता है।

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