*विश्व जूनोसिस दिवस पर जागरूकता संगोष्ठी*
कपूरथला : रिफलेक्शन ब्यूरो: (अंकित भास्कर )विश्व जूनोसिस दिवस हर साल 6 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनता को उन बीमारियों के बारे में जागरूक करना है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के एक अध्ययन में पाया गया कि सभी मौजूदा बीमारियों में से 60 प्रतिशत जूनोटिक हैं,इन शब्दो का प्रगतावा सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदरबीर कौर ने जिला प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित जागरूकता संगोष्ठी के दौरान किया । उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व जूनोसिस दिवस से संबंधित जागरूकता संगोष्ठी “लेट्स ब्रेक द चेन ऑफ ज़ोनोटिक ट्रांसमिशन” विषय के तहत आयोजित की जा रही हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदरबीर कौर ने कहा कि जूनोटिक रोग जानवरों में पैदा होते हैं और इंसानों में फैल सकते हैं। संक्रमण संक्रमित जानवरों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से या उसके संपर्क में आने से होता है। वायरस, बैक्टीरिया, कवक, प्रून या परजीवी जूनोसिस का कारण बनते हैं। रेबीज, इबोला, कुछ प्रकार के स्वाइन फ्लू, लेप्टोस्पायरोसिस, ब्रुसेलोसिस, एंथ्रेक्स, जीका और इबोला वायरस, रिकेट्सियोसिस, प्लेग, चिकनगुनिया, डेंगू और जापानी इंसेफेलाइटिस सबसे घातक जूनोटिक रोग हैं।*जूनोसिस कैसे फैलता है*
सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदरबीर कौर ने कहा कि पशु जूनोटिक रोगों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि 75% नई या उभरती हुई बीमारियां उनके कारण होती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, जूनोटिक रोग संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है, जैसे कि मांस या पशु उत्पादों का उपयोग करने से। इस अवसर पर पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. अमित सक्सेना, जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट नंदिता खुल्लर, एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. नवप्रीत कौर और डॉ. राजीव भगत ने भी सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर सहायक सिविल सर्जन डाॅ. अनु शर्मा, डीएचओ डॉ. कुलजीत सिंह, डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर शरणदीप सिंह, बीईई रविंदर जस्सल, एम एंड ईओ राम सिंह और डॉ साहिबान आदि उपस्थित थे।