पंजाब की पराली को लेकर इस राज्य के बीच हुआ समझौता

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चंडीगढ़ ( वरिंदर )

पंजाब में प्रदूषण की बड़ी वजह बन चुकी धान की पराली का प्रबंधन अब केरल में पशुओं के चारे के लिए किया जाएगा। बाकायदा पंजाब की ओर से केरल को पराली की आपूर्ति की जाएगी। केरल राज्य पशुपालन और पोषक चारे के लिए पंजाब का अनुसरण करेगा। केरल की पशुपालन मंत्री जे. चिनचुरानी ने पंजाब भवन में हुई बैठक के दौरान पशुओं के चारा प्रबंधन के लिए पंजाब मॉडल अपनाने में रूचि दिखाई।

वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने केरल को पशुओं के चारे के लिए पराली मुहैया करवाने का आश्वासन दिया है, जिससे पंजाब में पराली को आग लगाने की समस्या पर रोक लगाने समेत बड़ी मात्रा में पराली से निपटने में मदद मिलेगी। पंजाब की तर्ज पर पशुधन के लिए खुराक, बुनियादी ढांचा और उपयुक्त माहौल के मद्देनजर कानून बनाने के लिए केरल सरकार के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही पशु पालन मंत्री जे चिनचुरानी ने पंजाब के पशु पालन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को पत्र सौंपा। 

इस प्रयास को कैबिनेट मंत्री ने दोनों राज्यों के लिए लाभ वाला बताते हुए कहा कि मान सरकार इस दिशा में हर संभव सहयोग के लिए तैयार है। आने वाले दिनों के दौरान इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए संभावनाएं तलाशी जाएंगी। अपने दो दिवसीय पंजाब दौरे के लिए गुरुवार को चंडीगढ़ पहुंचे केरल सरकार के प्रतिनिधिमंडल का कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर और प्रमुख सचिव विकास प्रताप ने स्वागत किया। इसके बाद बैठक के दौरान चिनचुरानी ने कहा कि केरल में लोगों के लिए डेयरी फार्मिंग रोजी-रोटी का अहम पेशा है और लाखों किसानों के लिए डेयरी पेशा आमदन का मुख्य साधन है।

पंजाब के बाद केरल दूध उत्पादकता में देश में दूसरे नंबर पर है। पिछले कुछ साल में पशु चारे की कीमतें बढ़ने के कारण डेयरी से जुड़े किसानों की आर्थिकी बुरी तरह प्रभावित हुई है। तटीय राज्य केरल में कृषि योग्य जमीन कम होने के कारण पशुओं के लिए अपेक्षित चारा पैदा नहीं होता। अगर केंद्र सरकार द्वारा घोषित किसान रेल प्रोजेक्ट द्वारा पराली केरल राज्य में भेजी जाती है तो इससे केरल के बड़ी संख्या में डेयरी किसानों को लाभ होगा। पशु पालन विभाग के प्रमुख सचिव विकास प्रताप ने राज्य में पशु रोग और वैक्सीन संस्थाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पंजाब में इस समय पर लगभग 3,000 पशु संस्थाएं हैं, जो राज्य में औसतन 2,400 पशु प्रति संस्था और लगभग 4.5 किलोमीटर के दायरे को सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

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